जवाई बांध में इन दिनों सैकड़ों की संख्या में कोरमोरेंट पक्षी डेरा डाले हुए हैं। ये पक्षी अपने समूह के साथ संगठित होकर रहते हैं और अक्सर एक साथ शक्ति प्रदर्शन करते हैं। मंगलवार को, जवाई बांध में एक सूखे टापू पर कोरमोरेंट का एक बड़ा समूह दिखाई दिया। यहां पर इन पक्षियों को टापू का तापमान कुछ अधिक गर्म लगा, जिसके कारण वे यहीं बैठ गए और धूप से बचने के लिए इस स्थान पर आराम करने लगे। इस दृश्य से यह साफ होता है कि कोरमोरेंट अपने समूह के साथ विश्राम और सुरक्षा दोनों के लिए एकत्रित रहते हैं।
जवाई बांध, जो राजस्थान के पाली जिले में स्थित है, इन दिनों एक अनूठे दृश्य का गवाह बन रहा है, जिसमें सैकड़ों की संख्या में कोरमोरेंट पक्षी वहां डेरा डाले हुए हैं। यह दृश्य केवल जैव विविधता के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसने पर्यटकों और पक्षी प्रेमियों का भी ध्यान आकर्षित किया है।
कोरमोरेंट की पहचान और व्यवहार:
कोरमोरेंट एक जलचर पक्षी है, जो विशेष रूप से मछलियाँ पकड़ने के लिए पानी में तैरता है। इनकी लंबी चोंच और पतली गर्दन होती है, जो उन्हें पानी में शिकार करने के लिए सक्षम बनाती है। कोरमोरेंट अपने शिकार को पकड़ने के लिए गहरे पानी में तैरते हैं और पानी में डुबकी लगाकर मछलियाँ पकड़ते हैं। इसके अलावा, ये पक्षी अपनी लंबी पतली टाँगों के साथ पानी में तैरने और उबड़-खाबड़ सतहों पर बैठने में भी माहिर होते हैं।
समूह में रहने की आदत:
कोरमोरेंट एक सामूहिक प्रजाति है, और इन्हें अक्सर बड़े समूहों में देखा जाता है। समूह में रहने से इन्हें सुरक्षा मिलती है और शिकार करते समय भी ये एक-दूसरे से मदद ले सकते हैं। इनका समूह शक्ति का प्रतीक होता है। विशेष रूप से, ये पक्षी अपने समूह के साथ रहते हैं और एक साथ सुरक्षा, आराम और शिकार की गतिविधियाँ करते हैं।
जवाई बांध में कोरमोरेंट का दृश्य:
जवाई बांध में इन दिनों कोरमोरेंट का समूह बड़ी संख्या में एकत्रित हुआ है। मंगलवार को, एक सूखा टापू विशेष रूप से ध्यान आकर्षित कर रहा था, जहाँ कोरमोरेंट का एक बड़ा समूह दिखाई दिया। यह टापू बांध में पानी से घिरा हुआ है, और यह सूखा स्थान पक्षियों के आराम के लिए आदर्श होता है।
गर्मी से बचाव:
मंगलवार को इस टापू पर कोरमोरेंट का समूह बैठा हुआ था। यह दृश्य खास था क्योंकि इन पक्षियों ने इस टापू का चयन किया था, जो गर्म था। टापू पर इन पक्षियों को गर्मी महसूस हुई, लेकिन फिर भी उन्होंने यहाँ बैठने का निर्णय लिया। गर्मी का असर अक्सर पानी के पास रहने वाले पक्षियों पर पड़ता है, खासकर जब धूप अधिक हो। इस प्रकार के वातावरण में, पक्षी धूप से बचने के लिए सूखे स्थानों का चयन करते हैं, और यहां पर टापू पर उनका समूह आराम कर रहा था।
पर्यावरणीय महत्व:
जवाई बांध में इन कोरमोरेंट पक्षियों का आना इस क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है। यह स्थान जलवायु और जैव विविधता के लिहाज से एक अहम हब बन चुका है। इन पक्षियों का यहाँ आना और शिकार के लिए इस जलाशय का उपयोग करना इस बात का संकेत है कि जवाई बांध में जल जीवन और वन्यजीवों का एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित है।
इस प्रकार के दृश्य यह भी दिखाते हैं कि बांध और उसके आसपास के क्षेत्र पक्षियों और अन्य वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण आवास प्रदान कर रहे हैं। यह स्थान न केवल जल स्रोत के रूप में कार्य करता है, बल्कि यह प्राकृतिक जीवन का संरक्षण करने वाला एक प्रमुख केंद्र बन गया है।
पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण:
जवाई बांध में कोरमोरेंट का यह दृश्य पर्यटकों और पक्षी प्रेमियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन गया है। इसे देखकर वे न केवल पक्षी की प्रजातियों के बारे में अधिक जान सकते हैं, बल्कि यह क्षेत्र जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के अध्ययन के लिए भी महत्वपूर्ण बन गया है। जवाई बांध की जैविक विविधता और पक्षियों की उपस्थिति ने इसे एक प्रमुख पर्यटक स्थल और वन्यजीव अध्ययन केंद्र बना दिया है।
निष्कर्ष:
जवाई बांध में कोरमोरेंट का यह समूह निश्चित रूप से उस स्थान के पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता का प्रतीक है। इन पक्षियों का यहां आराम करना और शिकार के लिए पानी में उतरना इस बात का संकेत है कि जवाई बांध एक प्राकृतिक आवास के रूप में विकसित हो चुका है। यह स्थल न केवल पक्षी प्रेमियों के लिए एक आकर्षण है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।