सुमेरपुर के निकटवर्ती ढोला गांव में एक दिवसीय विशाल सत्संग और नि:शुल्क नामदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें संत रामपाल जी महाराज के उपदेशों को प्रचारित किया गया। यह कार्यक्रम समाज के लोगों के लिए एक जागरूकता सत्र के रूप में आयोजित किया गया, जिसमें विशेष रूप से आध्यात्मिक उन्नति और सामाजिक सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया।
संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संग में बताया कि सतगुरु का सत्संग और दर्शन सबसे बड़ा तीर्थ है, क्योंकि यह आत्मिक उन्नति का सर्वोत्तम मार्ग है। उन्होंने बताया कि कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थल जैसे अमरनाथ धाम, वैष्णो देवी, नैना देवी, केदारनाथ आदि की स्थापना किस उद्देश्य से हुई और ये स्थान शारीरिक रूप से तीर्थ स्थल हो सकते हैं, लेकिन आत्मिक दृष्टि से सतगुरु का सत्संग ही सर्वोत्तम है। संत जी ने यह भी बताया कि तत्वदर्शी संत कौन होते हैं और उनके लक्षण क्या होते हैं।
संत रामपाल जी ने वाणी में दिए गए एक अति महत्वपूर्ण शेर का उल्लेख किया, जिसमें गरीब दास जी महाराज ने पूर्ण गुरु के लक्षणों को मधुर शब्दों में व्यक्त किया। उन्होंने गीता के अध्याय 15, श्लोक 1 से 4 तक का हवाला दिया, जिसमें यह बताया गया कि तत्वदर्शी संत वह होते हैं जो शास्त्रों से प्रमाणित ज्ञान देते हैं और उनके द्वारा बताई गई भगति विधि से ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।
संत जी ने समाज में व्याप्त कुप्रथाओं पर भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने दहेज प्रथा, रिश्वतखोरी, भ्रूण हत्या, नशाखोरी और अन्य समाज विरोधी कृत्यों के खिलाफ आवाज उठाई और समाज के हर वर्ग से अपील की कि वे इन कुप्रथाओं से दूर रहें और समाज को इनसे मुक्त करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करें।
कार्यक्रम में भाग लेने वाले श्रोताओं को नाम दीक्षा भी दी गई, जिसे निशुल्क प्रदान किया गया। रतनलाल रमीना, जो स्थानीय तहसील सेवादार हैं, ने बताया कि संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा निशुल्क होती है और इसमें कोई शुल्क नहीं लिया जाता। सत्संग के दौरान दो श्रोताओं ने नाम दीक्षा प्राप्त की और उन्होंने नशे से दूर रहने की कसम भी खाई।
कार्यक्रम में ढोला गांव के सरपंच मेघाराम परमार सहित कई गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया। इनमें कमलेश दास, सोहन पंवार, शांतिलाल, रमेश दास, छगनलाल, धनदास, भीमादास, लक्ष्मण दास, तारादास, देवदास, पप्पुदास, मंजुदास और लुणावा जैसे लोग शामिल थे। सभी ने संत रामपाल जी के उपदेशों को सुना और समाज में बदलाव लाने की कसम खाई। इस आयोजन ने स्थानीय लोगों में आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाई और उन्हें समाज सुधार की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया।