सुमेरपुर: जवाई बांध, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है, आज प्रवासी पक्षियों के लिए संकटग्रस्त होता जा रहा है। जहां एक ओर यह क्षेत्र विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपनी पहचान बना रहा है, वहीं दूसरी ओर लगातार बढ़ती मानवीय गतिविधियों के चलते यह प्रवासी पक्षियों के लिए असुरक्षित होता जा रहा है।
हर वर्ष सर्दियों और वसंत ऋतु में सैकड़ों प्रजातियों के पक्षी जवाई बांध क्षेत्र में प्रवास करते हैं। ये पक्षी यहां अपने जीवन साथी के साथ प्रवास कर जमीन पर घोंसला बनाते हैं और अंडे देते हैं। लेकिन अब इन नन्हें परिंदों के लिए सुरक्षित स्थान नहीं बचा है। जवाई बांध क्षेत्र में अनियंत्रित जिप्सी सफारी और मानव गतिविधियों के कारण इनकी प्रजनन प्रक्रिया बाधित हो रही है।
मानवीय दखल के कारण पक्षियों का संकट
जवाई बांध के पूरे जलग्रहण क्षेत्र में दिन-रात जिप्सियों की तेज आवाज और अंधाधुंध दौड़ से पक्षियों के घोंसले नष्ट हो रहे हैं। छोटे प्रवासी पक्षी, जैसे लिटिल रिंग प्लोवर, केन्टिस प्लोवर, स्मॉल प्रेटिनकोल, इंडियन करसर, सैंडग्राउस, ग्रे-फ्रैंकोलिन, असाई क्राउनस्पोरो लार्क, वेगटेल, पेडिफिल्ड पिपेट, लार्क, सैंडपाइपर और कॉमन स्नाइप, अपने छोटे-छोटे घोंसलों में अंडे देकर अपनी वंश वृद्धि करते हैं। लेकिन जवाई में बढ़ती अनियंत्रित सफारी गतिविधियों के कारण ये अंडे सुरक्षित नहीं रह पाते।
पिछले 5-10 वर्षों में जवाई क्षेत्र में करीब 300 से अधिक जिप्सियों का अव्यवस्थित संचालन हो रहा है। इससे पक्षियों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो गया है। पहले जहां ये पक्षी हर वर्ष जवाई में प्रवास करते थे, अब उन्होंने इस क्षेत्र में आना लगभग बंद कर दिया है।
पिछले एक दशक से नहीं लौटे ये दुर्लभ पक्षी
इस मामलो के विशेषज्ञ लक्ष्मण पारंगी ने बताया कि पिछले एक दशक में कुछ दुर्लभ प्रवासी पक्षी जवाई में लौटकर नहीं आए हैं। इनमें वाटर रेल, स्लेटी लेग क्रेक, वाटर हेन, कॉमन मुरेन, ब्रॉन्जविंग जकाना, क्रेब प्लोवर, पाइड एवोसेट, ग्रेट स्टोन प्लोवर, ओरिएंटल प्रेटिनकोल, नार्दन लैपविंग, रिवर लैपविंग, ग्रे प्लोवर, लेसर प्लोवर, बार टेल गोडविट, यूरेशियन करलियू, स्पॉटेड रेडशंक, ग्रीन शंक, वुड सैंडपाइपर, इम्पिरियल ईगल, स्पॉटेड ईगल, फिश आउल, बार्न आउल, रूडी किंगफिशर, ब्लू स्मॉल किंगफिशर, लेसर पाइड किंगफिशर, यूरेशियन स्पूनबिल, लार्ज व्हिसलिंग डक, ग्रे लेग गूज, मेलर्ड, व्हाइट विंग डक, पिग्मी गूज, कॉटन पिग्मी गूज, कॉमन टील, गरगनी डक, मार्बल टील, ग्रेट क्रेस्टेड पोचार्ड, गेडवाल, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड और इंडियन स्कीमर शामिल हैं।
संरक्षण के लिए आवश्यक कदम
प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए जरूरी है कि जवाई बांध क्षेत्र में अनियंत्रित पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगाई जाए। इसके लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
नियंत्रित पर्यटन – जवाई में सफारी गतिविधियों को नियंत्रित किया जाए और जिप्सियों की संख्या सीमित की जाए।सख्त नियम और कानून – वन्यजीव संरक्षण कानूनों का कड़ाई से पालन किया जाए और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
निष्कर्ष
जवाई बांध एक प्राकृतिक धरोहर है, जिसे बचाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। यदि इस क्षेत्र में मानवीय दखल को नियंत्रित नहीं किया गया, तो प्रवासी पक्षियों की संख्या में और गिरावट आ सकती है, जिससे जैव विविधता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। इसके लिए सरकार, स्थानीय प्रशासन और पर्यावरण प्रेमियों को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे।