कुम्भलगढ़ दुर्ग राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और विशाल किला है। यह किला अरावली पर्वत श्रृंखला के पश्चिमी किनारे पर स्थित है और इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त है। इस किले को मेवाड़ के राजा राणा कुम्भा ने 15वीं शताब्दी में बनवाया था। कुम्भलगढ़ दुर्ग को अपनी अनूठी वास्तुकला, विशाल दीवारों, और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।
कुम्भलगढ़
दुर्ग की विशेषताएं और तथ्य:
निर्माण
का समय:
कुम्भलगढ़ दुर्ग
का निर्माण 1443 ई. में राणा
कुम्भा द्वारा शुरू किया गया और इसे पूरा होने में लगभग 15 वर्ष लगे।
दीवार
की लंबाई:
इस किले की दीवार
लगभग 36 किमी लंबी है, जो इसे चीन की
महान दीवार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार बनाती है। इसे "भारत की
महान दीवार" भी कहा जाता है।
ऊंचाई
और स्थान:
यह किला समुद्र तल
से 1,100 मीटर की ऊंचाई पर
स्थित है और चारों ओर घने जंगलों से घिरा हुआ है, जो कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य का हिस्सा है।
किले का
उद्देश्य:
कुम्भलगढ़ किला
मेवाड़ के शासकों का सुरक्षित स्थान और युद्ध के समय शरण स्थली था। इसे अजेय किले
के रूप में जाना जाता था और इसे कई आक्रमणों के बावजूद कभी जीता नहीं जा सका।
मकानों
और मंदिरों की संख्या:
किले के अंदर 360 से अधिक प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें 300 जैन मंदिर और शेष हिंदू मंदिर हैं।
प्रवेश
द्वार (रामपोल):
किले में प्रवेश
के लिए सात विशाल द्वार (पोल) हैं। मुख्य द्वार को "रामपोल" कहते हैं।
रणनीतिक
महत्व:
इस किले का स्थान
रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था क्योंकि यह मेवाड़ और मारवाड़ की सीमा पर स्थित था
और यहां से चारों ओर के क्षेत्रों पर नजर रखी जा सकती थी।
महल:
किले के भीतर
"बादल महल" नामक एक सुंदर महल स्थित है, जो इसकी वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है।
उदय
सिंह द्वितीय का जन्मस्थान:
माना जाता है कि
महाराणा प्रताप के पिता महाराणा उदय सिंह द्वितीय का जन्म इसी किले में हुआ था।
प्राकृतिक
सुरक्षा:
किले के चारों ओर
जंगल, ऊंची पहाड़ियां, और संकरी घाटियां इसे स्वाभाविक सुरक्षा
प्रदान करती थीं।
अन्य
महत्वपूर्ण बातें:
यूनेस्को
की मान्यता:
2013 में, कुम्भलगढ़ किला "राजस्थान के पहाड़ी
किले" के समूह के तहत यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया
गया।
प्रकाश
और शो:
हर शाम किले को
रोशनी से सजाया जाता है, जिससे इसकी
सुंदरता और भी निखर जाती है।
पर्यटन
स्थल:
यह किला पर्यटकों
के बीच बेहद लोकप्रिय है और हर साल हजारों पर्यटक यहां आते हैं।
कुम्भलगढ़
दुर्ग तक कैसे पहुंचें:
निकटतम
हवाई अड्डा:
उदयपुर का महाराणा
प्रताप हवाई अड्डा, जो किले से लगभग 85 किमी दूर है।
निकटतम
रेलवे स्टेशन:
कुम्भलगढ़ से
नजदीकी रेलवे स्टेशन फालना है, जो 40 किमी दूर है।
सड़क
मार्ग:
कुम्भलगढ़ सड़क
मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। उदयपुर और अन्य प्रमुख शहरों से यहां तक बस या
टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सांस्कृतिक
और ऐतिहासिक महत्व:
कुम्भलगढ़ दुर्ग राजस्थान के गौरवशाली इतिहास और राणा
कुम्भा की स्थापत्य कुशलता का प्रतीक है। यह किला भारतीय संस्कृति, स्थापत्य कला और वीरता की गाथाओं का
जीवंत उदाहरण है।