भारतीय मजदूर संघ राजस्थान की प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों की बैठक आज सुमेरपुर के जैन बोर्डिंग में विधिवत रूप से प्रारंभ हुई। बैठक का शुभारंभ भारत माता, भगवान विश्वकर्मा और राष्ट्र ऋषि दत्तोपंत ठेंगड़ी जी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।
सी. वी. राजेश ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 29 श्रम कानूनों को मिलाकर चार श्रम संहिताओं (लेबर कोड्स) में समाहित करना एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम है, जिससे श्रमिकों को सम्मान, सामाजिक सुरक्षा, बेहतर स्वास्थ्य और सुविधाएं आसानी से प्राप्त हो सकेंगी। संसद द्वारा पारित इन चार कोड्स के लागू होने से मजदूरों के अधिकारों की रक्षा संभव हो सकेगी।
चार श्रम संहिताएं (लेबर कोड):
मजदूरी संहिता: मजदूरी, बोनस, न्यूनतम वेतन, छुट्टियों और अन्य वेतन संबंधी मुद्दों को शामिल करती है।सामाजिक सुरक्षा संहिता: पेंशन, ईपीएफ, ईएसआई और अन्य कल्याणकारी योजनाओं से संबंधित है।
औद्योगिक संबंध संहिता: ट्रेड यूनियन, सामूहिक सौदेबाजी और श्रमिक-नियोक्ता संबंधों को नियंत्रित करती है।व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थिति संहिता: श्रमिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम के माहौल से जुड़ी है।
राज्य अध्यक्ष राजेंद्र सिंह डाबी ने इन कोड्स की विस्तार से चर्चा की और बताया कि 3 व 4 मई को प्रस्तावित प्रदेश कार्य समिति बैठक में इन संहिताओं की कमियों व सुधार की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।
कार्यक्रम के अंत में प्रदेश महामंत्री हरिमोहन ने संगठन की स्थापना को याद करते हुए बताया कि भारतीय मजदूर संघ की स्थापना 23 जुलाई 1955, तिलक जयंती के शुभ दिन, भोपाल में हुई थी। इसके संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी जी ने संगठन को "राष्ट्रहित की चौखट के भीतर मजदूर हित की कल्पना" के उद्देश्य से प्रारंभ किया था। यह संगठन किसी राजनीतिक दल, सरकार, विदेशी विचारधारा या व्यक्तिवाद से प्रभावित नहीं होकर केवल श्रमिकों के हित के लिए समर्पित है।
पूर्व अध्यक्ष महिपाल सिंह राजपुरोहित ने बताया कि आगामी 3 एवं 4 मई को साकरिया भवन, जैन बोर्डिंग में आयोजित प्रदेश कार्य समिति की बैठक में कैबिनेट मंत्री जोराराम जी की उपस्थिति में प्रदेशभर से लगभग 300 पदाधिकारी भाग लेंगे।