सुमेरपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग सुमेरपुर एवं भगवान महावीर हॉस्पिटल परिसर में संचालित श्रीमती दाकुबेन सरेमल संचेती नर्सिंग महाविद्यालय सुमेरपुर के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को विश्व अंग दान महादान पखवाड़ा के अंतर्गत पंचायत समिति सभागार में जन जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। तत्पश्चात आमजन को जागरूक करने रैली निकाली गई।
बीपीएम प्रमोद गिरी ने बताया कि कार्यशला को सम्बोधित करते हुए बीसीएमओ डॉ. गोविंद सिंह चुंडावत ने कहा कि अंगदान जागरूकता के लिए व्यापक काम करने की जरूरत है, क्योंकि मौतों का आंकड़ा बताता है कि अगर शत प्रतिशत अंगदान किया जाए तो अंग की कमी से होने वाली मौतों पर काबू पाया जा सकता है। अंग अमूल्य हैं, उसे जलाकर राख करने के बजाय दान कर दुनिया से जाने के बाद भी दुनिया में रहकर मिसाल कायम करने जैसे पुण्य सकारात्मक स्वरूप को साकार किया जा सकता है।
श्रीमती दाकुबेन सरेमलजी संचेती नर्सिंग महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर दिग्विजय सिंह देवड़ा ने अंगदान के बारे बताते हुए कहा कि अंगदाता कोई भी हो सकता है, जिसका अंग किसी अत्यधिक जरूरतमंद मरीज को दिया जा सकता है। मरीज में प्रात्यारोपण करने के लिये आम इंसान द्वारा दिया गया अंग ठीक ढंग से सुरक्षित रखा जाता है, जिससे समय पर उसका इस्तेमाल हो सके। अंगदान की इस प्रक्रिया में दिल, लीवर, किडनी, आंत, पैनक्रियास, फेफड़े, ब्रैन डेड की स्थिति में ही संभव होता है। वहीं आंख, हार्ट वॉल्व, त्वचा, हड्डियां, स्वाभाविक मृत्यु की स्थिति में दान कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति चाहे, वह किसी भी उम्र, जाति, धर्म और समुदाय का हों, वह अंगदान कर सकता है। अगर परिवार की अनुमति हो तो बच्चे भी अंगदान कर सकते हैं। यह धारणा भी लोगों में देखने को मिलती है कि बुजुर्ग अंगदान नहीं कर सकते। लेकिन सच यह है कि 18 साल के बाद का कोई भी नागरिक अंगदान कर सकता है। अंगदान में उम्र मायने नहीं रखती बशर्ते आप मेडिकल शर्तों को पूरा करते हों। हालांकि कैंसर, एचआईवी से पीड़ित और हेपेटाइटिस से पीड़ित व्यक्ति अंगदान नहीं कर सकते।
मृत्यु के बाद अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करना
ब्लॉक कार्यक्रम अधिकारी प्रमोद गिरी ने कहा कि आज भी जागरूकता की कमी के कारण, लोगों के मन में अंगदान के बारे में डर और भ्रांतियां हैं। वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन पखवाड़ा मनाने का उद्देश्य इंसान की मृत्यु के बाद अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करना है। अंगदान में अंगदाता के अंगों जैसे कि दिल, लीवर, किडनी, इंटेस्टाइन, फेफड़े अदि का दान उसकी मृत्यु के पश्चात जरूरतमंद व्यक्ति में प्रत्यारोपित करने के लिए किया जाता है। जिससे एक व्यक्ति को नई जिंदगी मिल सकती है। अंगदान विषय पर महाविद्यालय के छात्र पूजा माली, वीरेंद्र सिंह, मनीषा जोशी, बालाराम सीरवी आदि ने भी अपने-अपने विचार रखे। कार्यक्रम में चिकित्सा विभाग के बींजाराम मीणा, सहायक तकनीकी अधिकारी बाबूलाल, मोहम्मद सलीम समेत अन्य कार्मिक एवं नर्सिंग महाविद्यालय के अध्यापकगण एव विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन व्याख्याता करण माली ने किया।