सुमेरपुर: नगर और उपखंड क्षेत्र में करवा चौथ का पर्व रविवार को मनाया जाएगा। यह पर्व विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पतियों की दीर्घ आयु और सुखद जीवन की कामना के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है। महिलाएं इस दिन उपवास रखकर चौथ माता की पूजा करती हैं, जो भारतीय संस्कृति में गहरी धार्मिक मान्यता रखता है।
पर्व का महत्व
करवा चौथ का पर्व हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो दीपावली से लगभग 10 दिन पहले आता है। इस दिन का धार्मिक महत्व महिलाओं के लिए विशेष है, क्योंकि वे अपने पति के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं।
पूजा विधि
इस वर्ष चतुर्थी तिथि सुबह 6:47 बजे से लेकर अर्धरात्रि बाद 4:18 बजे तक रहेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:46 से 7:02 बजे के बीच है, जबकि चंद्रोदय का समय रात्रि 7:54 बजे होगा। महिलाएं इस दिन निर्जला उपवास रखती हैं, जिसका अर्थ है कि वे पूरे दिन पानी भी नहीं पीतीं।
बाजार की रौनक
पर्व की तैयारियों के चलते शनिवार को नगर के मुख्य बाजार में महिलाओं की भारी भीड़ देखने को मिली। सभी महिलाएं नए कपड़े, श्रृंगार सामग्री, पूजा की थालियाँ और अन्य जरूरी सामान की खरीदारी के लिए उमड़ पड़ीं। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं ने भी बाजार में पहुंचकर आवश्यक वस्तुएं खरीदीं। इस दौरान बाजार में करवे भी बिके, जो इस पर्व का प्रतीक माने जाते हैं।
धार्मिक मान्यता
करवा चौथ का व्रत देवी मां पार्वती द्वारा भगवान शिव के लिए सबसे पहले रखा गया था। श्रीमद्भागवत कथा में वर्णित इस कहानी के अनुसार, पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि उनकी जन्म-मृत्यु क्यों नहीं होती। भगवान शिव ने बताया कि उनकी कामना के अनुसार उनका सुहाग अमर हो गया है। पार्वती ने भगवान शिव की बात मानकर यह इच्छा की कि उनकी जोड़ी हमेशा के लिए अखंड रहे।
विशेष तैयारी
महिलाएं इस दिन विशेष श्रृंगार करती हैं, नए कपड़े पहनती हैं और अपने पतियों के लिए खास भोजन तैयार करती हैं। पूजा के दौरान वे चाँद को देखने के बाद अपने पतियों का चेहरा देखकर उन्हें जल ग्रहण कराती हैं, जिससे उनका व्रत समाप्त होता है।
इस प्रकार, करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जो प्रेम, समर्पण और पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती का प्रतीक है। महिलाएं इस दिन अपनी भक्ति और श्रद्धा के साथ अपने पतियों के लिए सुख और समृद्धि की कामना करती हैं।