धनारी बांध में स्थित जालोकरा हनुमान मंदिर की कहानी सचमुच अद्भुत है। यह मंदिर जब जलमग्न होता है, तब इसके पीछे का इतिहास और स्थानीय संस्कृति उजागर होती है। बांध के निर्माण के बाद जालोकरा गांव डूब गया, और नए गांव "नई जमीन" की स्थापना की गई।
यहाँ की परंपरा भी खास है; जब पानी उतरता है, तब मंदिर पर महाप्रसादी का आयोजन किया जाता है, जो न केवल स्थानीय लोगों के लिए धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह समुदाय की एकजुटता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है।
जालोकरा हनुमान मंदिर की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वता बहुत गहरी है। यहाँ कुछ मुख्य बातें:
धार्मिक मान्यताएँ:
- हनुमान जी की पूजा: मंदिर में भक्त हनुमान जी की विशेष पूजा करते हैं, जिन्हें बल और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
- महाप्रसादी: जैसे ही मंदिर का रास्ता खुलता है, स्थानीय लोग महाप्रसादी का आयोजन करते हैं। यह एक बड़ा धार्मिक आयोजन होता है, जिसमें क्षेत्र के लोग मिलकर प्रसाद का वितरण करते हैं।
इतिहास:
- गांव का विकास: जालोकरा गांव का नाम उदयपुर के महाराणा ने मेघाजी रावल को दिया था। जब बांध का निर्माण हुआ, तो गांव जलमग्न हो गया, और निवासियों को नई जमीन पर पुनः बसाया गया।
- मंदिर की स्थापना: मंदिर का निर्माण उस समय हुआ, जब जालोकरा गांव का अस्तित्व था, और यह ग्रामीणों की आस्था का केंद्र बना।
स्थानीय परंपराएँ:
- त्योहार और मेले: हर साल महाप्रसादी के साथ मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं, जहाँ आसपास के गांवों से लोग शामिल होते हैं।
- समुदाय का एकजुटता: यह आयोजन लोगों के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करने का कार्य करता है।