16 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस के अवसर पर नंदी शाला जाखा नगर सुमेरपुर में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें पर्यावरण संरक्षण और सहिष्णुता का संदेश दिया गया। इस आयोजन में पौधारोपण के माध्यम से पर्यावरण को बचाने और समाज में सहिष्णुता के सिद्धांतों को फैलाने का प्रयास किया गया।
कार्यक्रम का उद्देश्य:
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था पर्यावरण जागरूकता फैलाना और साथ ही समाज में असहिष्णुता, भेदभाव और हिंसा के खिलाफ एकजुटता का संदेश देना। अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस 16 नवंबर को मनाया जाता है, और इसका उद्देश्य दुनिया भर में शांति, सहनशीलता, और आपसी समझ को बढ़ावा देना है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हम सभी समाज में भेदभाव, हिंसा और असहिष्णुता से मुक्त रहें और मानवाधिकारों का सम्मान करें।
पौधारोपण और पर्यावरण संरक्षण:
कार्यक्रम के दौरान नंदी शाला के सचिव राजेश जोशी ने बताया कि इस साल के कार्यक्रम में विमला देवी और ओमप्रकाश कुमावत, जो कि प्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी दंपति हैं, ने बरगद का पौधा रोपण किया। ओमप्रकाश कुमावत और उनकी पत्नी विमला देवी दोनों ही लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित रहे हैं। साथ ही, तुलसीराम जाट, जो एक युवा समाजसेवी हैं, ने भी इस कार्यक्रम में सक्रिय भाग लिया और बरगद के पौधे का गोद लेकर उसकी देखभाल और संरक्षण का संकल्प लिया।
बरगद का पेड़ पर्यावरण के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसके विशाल आकार के कारण यह बहुत अधिक ऑक्सीजन का उत्सर्जन करता है और इसकी छांव में पशु-पक्षियों को राहत मिलती है। खासकर इसके फल पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण आहार स्रोत होते हैं। बरगद के पेड़ की आयु भी बहुत लंबी होती है, जिससे यह एक स्थायी पर्यावरणीय धरोहर के रूप में कार्य करता है।
सहिष्णुता का संदेश:
इस अवसर पर ओमप्रकाश कुमावत ने सभी से अपील की कि हमें अपने समाज में सहिष्णुता और परस्पर सम्मान को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारे समाज की संस्कृति और सभ्यता हमेशा से सहिष्णुता, भाईचारे और समानता पर आधारित रही है। हमें अपने आचार-विचार में इन मूल्यों को बनाए रखना चाहिए। असहिष्णुता, भेदभाव और हिंसा के खिलाफ हमें एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए।” उनका यह संदेश समाज में शांति और एकता का महत्व उजागर करता है।
उन्होंने यह भी बताया कि पहले लगाए गए पौधों की देखभाल और उनकी खरपतवार व कचरे का निस्तारण भी किया गया है। इस तरह के छोटे-छोटे कदम पर्यावरण की रक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं।
उपस्थित सम्मानित लोग:
इस कार्यक्रम में नंदी शाला के अध्यक्ष किशोर भाटी, उपाध्यक्ष लालचंद अग्रवाल, समाजसेवी प्रकाश अग्रवाल, शांतिलाल देवड़ा, पर्यावरण प्रेमी दंपति विमला देवी और ओमप्रकाश कुमावत, और विक्रम गरासिया सहित अन्य कई सम्मानित लोग उपस्थित थे। सभी ने इस आयोजन में सक्रिय भागीदारी की और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को स्वीकार किया।
पूर्व में किए गए प्रयास:
नंदी शाला ने पहले भी पर्यावरण संरक्षण के लिए कई प्रयास किए हैं। कार्यक्रम में पहले लगाए गए पौधों की देखभाल और उन्हें उगाने के लिए किए गए प्रयासों का भी उल्लेख किया गया। इसमें खरपतवार की सफाई और कचरे के निस्तारण के कार्यों को प्राथमिकता दी गई। यह दर्शाता है कि नंदी शाला केवल पौधारोपण नहीं, बल्कि उसके निरंतर संरक्षण के लिए भी प्रतिबद्ध है।
समापन:
कार्यक्रम का समापन सहिष्णुता और पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर विचार व्यक्त करने के साथ हुआ। सभी उपस्थित व्यक्तियों ने अपने-अपने स्तर पर पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने और समाज में शांति और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए संकल्प लिया।
इस तरह के आयोजनों से न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होती है, बल्कि यह समाज में सकारात्मक सोच और सामूहिक प्रयासों को भी प्रोत्साहित करते हैं। जब हम पर्यावरण का ध्यान रखते हैं और साथ ही समाज में सहिष्णुता को बढ़ावा देते हैं, तो हम एक सशक्त और संतुलित भविष्य की ओर बढ़ते हैं।