गांव तालाब में मगरमच्छ होने व खड़े रहने की माकूल व्यवस्था नहीं होने से राउमा विद्यालय परिसर में कृत्रिम तालाब बनाकर रस्म निभाई
सुमेरपुर। निकटवर्ती दूदनी गांव में रविवार को समुंदर हिलोरने की रस्म निभाई गई। सर्व समाज की महिलाओं ने गांव के तालाब के पास स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय स्कूल परिसर में बनाए गए कृत्रिम तालाब में सामूहिक रूप से समंदर हिलोरने की रस्म निभाई। गांव के मुख्य तालाब की गहराई ज्यादा होने के साथ ही तालाब में मगरमच्छों के होने व खड़े रहने के लिए माकूल व्यवस्था नहीं होने के कारण सुरक्षा के मध्य नजर ग्रामीणों ने स्कूल परिसर में ही पॉलिथीन लगाकर कृत्रिम तालाब बनाया जहां कार्यक्रम आयोजित किया गया।
गांव में 25 वर्ष बाद समंदर हिलोरने की रस्म हुई। जिससे गांव के ग्रामीणों में इस परम्परा को लेकर खासा उत्साह नजर आया। गांव के सभी समाज की महिलाएं सवेरे से ही परम्परागत वेशभूषा में सज-धज कर सिर पर सुसज्जित मटका धारण कर ढोल ढमाकों व डीजे की धमचक के बीच उत्साहित होकर शोभायात्रा के रूप में गांव के तालाब के पास राजकीय स्कूल में बनाए गए कृत्रिम तालाब पर पहुंची। वहां पर पंडितों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच समदर हिलोरने वाली बहिनों व उनके भाइयों के हाथों समदर हिलोरे जाने वाले सुसज्जित मटके व नाडी की पूजा अर्चना करवाकर संकल्प दिलवाया। उसके बाद समदर हिलोरने वाली बहिनें उनके भाइयों के संग कृत्रित तालाब के पानी में उतरे। और बहिन ने भाई के माथे पर सौभाग्यशाली होने का तिलक लगाकर व उसके हाथ की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उसे दीर्घायु और खुशहाल होने का आशीर्वाद प्रदान किया। दूसरी तरफ तालाब के पानी को साक्षी मानकर भाई ने बहिन की जीवनभर रक्षा करने का वचन दिया। इसके बाद बहन ने भाई को और भाई ने बहन को आमने सामने खडे रहकर हाथों की हथेलियों से तालाब का पानी पिलाया। वहीं भाइयों ने बहनों को चुंदरी ओढ़ाकर अन्य सामग्री से गोद भराई। इस दौरान बहन ने भाई की दीर्घायु एवं सुख समृद्धि के लिए विष्णु भगवान से प्रार्थना की। इसी कड़ी में समंदर हिलोरने वाली महिलाओं ने गांव में शांति एवं कल्याण के लिए तालाब की परिक्रमा लगाई। रस्म समापन होने पर घुघरी मातर का प्रसाद वितरण किया गया। समारोह मंे हजारों की तादात में लोगों ने भाग लिया।
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